दुनिया की आश्चर्यजनक लाइब्रेरियों में से एक है रामपुर की रजा लाइब्रेरी

रामपुर की रजा लाइब्रेरी

रामपुर रजा लाइब्रेरी: अनमोल साहित्य मिलता है यहां

वैसे तो रामपुर नवाबों के लिए मशहूर है, लेकिन रामपुर को जाना जाता है, यहां स्थित रजा लाइब्रेरी से। पश्चिम उत्तर प्रदेश में शहर के बीचो-बीच आलीशान किले में बनी इस लाइब्रेरी में न सिर्फ रामपुर के इतिहास की हिफाजत की है, बल्कि इसने दुनिया भर की तारीख को समेटा हुआ है। 75 हजार से ज्यादा किताबें 16 हज़ार बेशकीमती पांडुलिपियां, हाथी दांत पर अकबर और उनके नौ रत्नों की तस्वीरें इस नायाब धरोहर की कहानी खुद ब खुद बयां कर देती है। साथ ही सोने की प्लेटों से सजीं हुई छतें और एक ही पत्थर को तराश कर बनाई गई 14 खूबसूरत मूर्तियां किसी का भी दिल जीत लेती है।

रामपुर के नवाब और किताबों के बेहद शौकीन नवाब फैजुल्ला खां ने वर्ष 1774 में रजा लाइब्रेरी की बुनियाद रखी। यहाँ के संग्रह को नवाब अली खां ने और सजाया। 1870 में जब वह हज पर चले गए, तो वहां से ढेर सारी पांडुलिपियां ले आए, जो आज भी लाइब्रेरी में मौजूद है। यहां हिंदू, उर्दू, अंग्रेजी, मराठी और हिंदुस्तानी भाषाओं के अतिरिक्त फ्रेंच, जर्मन, रशियन और अंग्रेजी भाषाओं में अनमोल किताबें मौजूद है। इसकी लोकप्रियता एवं ऐतिहासिकता को देखते हुए इसे वर्ष 1957 में नई इमारत दी गई, जिसमें आज यह मौजूद है। यह इमारत इंडो-यूरोपियन कला का बेहतरीन नमूना है।

लाइब्रेरी के खजाने में 500 से भी ज्यादा बेल-बूटों से सजी सोने के काम वाली बेहतरीन किताब में मौजूद है। यहां अरबी की एक बेशकीमती किताब अजाइबुल मख़लूक़ात भी है, जिसे जकरिया बिन-महमूद-अल-कजबीनी ने 1283 में लिखा था। इसके अलावा मलिक मोहम्मद जायसी का फारसी में अनुवादित पदमावत, औरंगजेब के जमाने में अनुवादित रामायण, तुर्की भाषा में बाबर का दीवान-ए-बाबर, उर्दू में इंशा अल्लाह खां की रानी केतकी की कहानी, दुनिया भर की बेहतरीन पेंटिंग्स, ईरान का इनसाइक्लोपीडिया, सिराज दमस्की का उस्तुर-लाब, जैसे महत्वपूर्ण उपकरण है। इसके अलावा हजरत अली द्वारा चमड़े पर लिखा हुआ कुरान भी इसकी खासियत है।

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